28 June, 2017

दोहे


पहले दुर्जन को नमन, फिर सज्जन सम्मान।
पहले तो शौचादि कर, फिर कर रविकर स्नान।।



इम्तिहान है जिन्दगी, दुनिया विद्यापीठ।
मिले चरित्र उपाधि ज्यों, रंग बदलते ढीठ।।



कनगुरिया कट्टी करे, लेते फेर निगाह।
दोस्त अँगूठा दे बना, रविकर बचपन वाह।।



करो माफ दस मर्तवा, पड़े न ज्यादा फर्क।
किन्तु भरोसा मत करो, उनसे रहो सतर्क।।



असफलता फलते फले, जारी रख संघर्ष।
दोनों ही तो श्रेष्ठ गुरु, कर वन्दना सहर्ष।।

1 comment:

  1. पहले दुर्जन को नमन फिर उसका मान सम्मान
    सज्जन होना जुर्म है नये जमाने का नया विधान।

    बहुत सुन्दर।

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